Translation By Rati Saxena
Rati Saxena has translated many poems apart from translated books, for journal kritya
These are poems translation done for the special issue of the Polish -American diaspora poetry for kritya in 2009
जेहन्ने डरब्यू का कविता संग्रह हैHardship Post (Three Candles 2009), उनका दूसरा और तीसरा संग्रह ashington Writers’ Publishing House and Northwestern University Press से शीघ्र आने वाला है। हिन्दी पाठक के रूप में हम इन कविताओं में पोलकों का अन्तर्द्वन्द्व देखते हैं, जिसे वहाँ के निवासियों ने सदियों तक झेला है। हर विश्व युद्ध ने कुछ ना कुछ खोया है, कभी अपनी अस्मिता तो कभी जमीन। इनमें से कुछ कविताओं में स्त्री दर्द भी झलकता है, जो यूरोप में भी अज्ञन के अंधेरे पन में रहने को मजबूर की गईं।
हमेशा सर्द , पोलेण्ड
३
हमने एश चिड़या के बारे में सुना है
जो जून में चौपालों के ऊपर मण्डराती हैं,
पर उड़ान नहीं भरती, लेकिन किंकियाती हैं
इसकी पहचान है कटार सी चौंच
गले तक कीड़ों से भरी होती है
इसकी चीख नदी के
उस पार से आती है
यह खानाबदोशों की पसन्द है
जो क्स्टिल ग्लास नही रखते
पिता हृदयघात से मर से चुके थे
मुहरों से भरा मखमली बटुआ खो गया
बाररूम की बाते अफवाहें बन
सड़कों पर खून बहने लगा
चीख पुकार के बाद हम
पेड़ के नीचे घिसटते आए
वृक्ष की छाया की छत्रछाया में
परों जैसे पत्तों के बीच दम घुटते हुए।
7
शादी से पहले , वधु का घूंघट उठाया जाता है
यह बताने के लिए कि यही वह पत्नी है
जिसका उसके पति ने सौदा किया था
फिर पादरी एक खेल खेलता है
मानों कि सारी लड़किया अदलाबदली की गई हो
एक दागदार फल का सौदा
एक घायल काले के साथ
सच यह है कि – चेहरा छिपा ही रहता है
चाहे घूंघट किता ही पारदर्शी क्यों ना हो
सिल्क फुसफुसाहट सी मुलायम हो
शादी के बिस्तरे पर, सफेद किनारी
धागों और अकेलेपन से बुनी हो
हम हमेशा पर्दे में होते है, यहाँ तक कि
चादर के नीचे भी, हमारी खाल हमारे भीतर के
हजारो कोषों को ढंकने वाली एक परत ही तो है
#लेहा रचेल के लिए-
८
हर औरत को यह जानने के लिए
मैच मेकर की जरूरत नहीं कि
उसका दिल बिस्तरे के नीचे
कितनी गोलाई में दबता है
इतनी जोर से दबता हुआ कि
मैं वहाँ रखती हूँ
अपने खून का तम्बई स्वाद
मेरे हाथ कितनी आसानी से
खोज लेते हैं खाल का झुरमुट
अक्ष और सटकनी
मैं इन्हें किताब के पन्नों में
रख लेती हूँ, फूलों की तरह सीधे,
जैसे कि सुगन्ध
यह बैंगनी सपना है
जो एक खुले मैदान में,
काफी तेज दौड़ रहा है
18
मेरी पौरो की याद है?
उन्होंने शब्दों को पकड़ना सीख लिया है
दायाँ कान मैदान जा पहुँचा और विस्तुला
सुनने लगा, बायां कान
मेरी माँ के वंश (shtetl) में जा गिरा, अब पूरब के
कार्यक्रमों में मिट गया है
दसों उंगलियाँ छोटी चाभी में
बिखर गई हैं,
तीखी मिर्च रोमानियत की सीढ़ियों पर
मेरी नाक चारागाह में गिरती है
आलू स्वरों और गोभी व्यंजनों
को सूंघते हुए,
और क्या बचा, मेरी आँखे, वे भूत की बड़े
जहाज पर फड़फड़ाती हैं
उन बगीचों में जहाँ वे पालते हैं
बैंगनी रंग की खाल वाले फल
काली पलके मण्डराती है
मेरे दिल के बारे में मत पूछो
यह अपनी धड़कनों को हर जगह फैलाता है
लेकिन अपने में नहीं, बल्कि उन सब जगहों पर
आराम को अनुभव करते हुए।
28
यह देश गुड़िया घर है
बिर्च पेड़ के डिब्बे पर
दिलों से सज्जित, चेस्टनट के
के फलों को तोड़ते हुए दिखाना
बचपन का चर्च
जहाँ कोई भी उजाले में नहीं आता
काँच की आँख वाले की मौत पर
शृद्धा सुमन का अर्पण
चन्दा इक्कट्ठा करने का डिब्बा
एक खाली हाथ, हजारों बारीक कतरने
से बर्फ का रूप निर्माण
इक्कम दुक्का (Hopscotch)खेलती धरती धरती, मैं बच नहीं पाती हुँ
मैं उस राख से ऊपर नहीं उठ पाती
जो मेरी स्मृति में पहाड़ों की तरह खड़े हैं
अपने मुँह की भरणी को
भरते हुए
(पहला संस्करण )
दुनिया के इस गुड़िया घर में
एक डिब्बे के भीतर
दरख्त समा जाते हैं
एक पूरी जिन्दगी बस जाती है
बचपन नन्हेपन का चर्च है
एक भूला बिसरा खिलौना
इक्कम दुक्का (Hopscotch) धरती राख है
हजारों कागजी कतरने
कंकड़ों से बना पहाड़
एक ऐसा खेल है
जिसमें कूदा और पार किया जाता है।
(दूसरा संस्करण)
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
जान गुजलोस्क्वी ( John Guzlowski) की कविता
एक खत युद्ध के बाद-
प्रिय तेल्का, मेरी इकलौती बहन
जंग खत्म हो गई, लेकिन हम अब भी उसके परिणामों से जूझ रहे हैं। हमारे पास खाने की मेज है लेकिन खाना नहीं, दर्द है लेकिन दवा नहीं, लोहे के पलंग हैं, लेकिन बिछाने को पुआल नहीं है।
हर दिन मैं रात का इंतजार करती हूँ, जिससे इन चीजों के इंतजार से बच सकूँ। लेकिन इससे मेरे सपनों में माँ आती है जो कपड़ों की धुलाई के लिए चिल्ला रही है। और मुझे अपने कपड़े ठीक से ना धो पाने के लिए फटकार रही है।
मैं उन्हें टब में इक्कट्ठा तो करती हूँ, किन्तु धोने की ताकत नहीं बटोर पाती हूँ।
कभी मैं उन्हे पूरब की तरफ चेहरा किए हुए पतझड़ी जंगलों को देखते हुए पाती हूँ। जहाँ पर अभी से बरफ पड़ने लगी है। यदि तुम पोलेण्ड आओ और मेरे साथ गाँव चलों तो तुम उस कब्र को देख पाओगी जहाँ उसे, गेन्जा और उसके बच्चे को पटक दिया गया था। वहाँ कोई तो जानता होगा कि उन्हें कहाँ दफनाया गया। तब शायद माँ मेरे सपनों में आना बन्द कर दे।
यदि तुम वसन्त में आओ तो मेरे लिए नीले रंग की एक पौशाक जरूर लाना, नीले रंग पर फूल छपे हों जिसमें, जैसी कि हम जंग से पहले पहना करते थे। गर्मियों के लिए एक नई पौशाक भी अच्छी रहेगी।
तुम्हारी प्यारी बहन
सोफिया
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
Peter Burzynski की कविता
लौटना
मै आखिरकार
घर लौट आया
पहली बार
मरते हुए
diaspora
का अन्त हुआ
एक घर तब तक
घर नहीं है
जब तक अपना खुद का
खून पसीना न लगे
चेहरे की तरह
बिना टूटा-फूटा
मैं लौट आया हूँ
भारी मन लिए
खाली जेब लिए
मैं अकेला घूम रहा हूँ
सुनसान पत्थरी गलियों में
सड़कों पर घूमना
मै शायद ही भूला हूँ
लेकिन आज मैं
लौट आया हूँ
बूटो के तले
कब्र के पत्थर की तरह
भारी हो गए हैं
मैं बड़े चमकदार चूहे सा
महसूस कर रहा हूँ
लेकिन फिर भी
अभी लौट रहा हूँ
मैं अपने
Czarnolas.*
को लौट आया हूँ
Czarnolas.*
* (Kochanowski’s home; a place synonymous with poetic inspiration)
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
Lillian Vallee की कविता
Belle Isle (खूबसूरत द्वीप)
लोग मुझ पर दया दिखाते हैं
जब उन्हें पता चलता है कि
मैं डेट्रोइट में पली बढ़ी हूं
कोलतार का जंगल
शहरी जंगल
विस्थापित गरीब
जब कि मैं देखती हूं
बेले इसले
पानी के फौव्वारे
केसिनों की सीढ़ियां
कलात्मक घड़ी
पालतू जानवरों का अजायब घर
और पहली बरफ के स्वाद के लिए
बहन को पहले जाने की इजाजत
(और उसका फिसल जाना)
रविवार के दिन समुद्र तट
घर के बने हाट डाग
समन्दर की तरह दिखती
साफ नदी, इतनी नीली
इतनी मीठी कि अपने पाँव देख लो
गर्मियों में रविवार की सुबह
पेड़ों के झुरमुटों की
छँटाई से पहले
कम्बल के नीचे
बेलै इसले
Lillian Vallee ने करीब 130 से ज्यादा अनुवाद और कविताएँ तथा लेख लिखे हैं। और ७० से ज्यादा लेख पढ़े हैं। वह पोलिश विस्थापित के रूप में पली बढ़ीं।
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमती के उपयोग करना मना है।
पुल
नीली डिट्रोइट नदी के ऊपर सफेद पुल पर
एक औरत मौत को झौंक दी गई
एक आदमी चिड़ कर पीछा कर रहा था
कि वह कार से जा टकराई
कोई नहीं बता सकता कि
वह आदमी उसकी सहायता के लिए
पीछे भागा था, या उसे घायल करने के लिए
उसे रोकना चाह रहा था, या धक्का देना
मैं फिर इसे देखना नहीं चाहती थी
इस तरह नहीं, हिचक थी
मैं उस पानी में जिन्दा खोपड़ी को
नहीं देखना चाहती थी, जिसमे में खेली थी
यह वही पुल था जिसे हम रविवार को पार करते थे
अपने पूरे बचपन में
कभी बस से तो कभी कार से
यह हमारे लिए छुटकारे का मार्ग था
जैसा कि उसके लिए
लेकिन हमारा प्रार्थना की ओर जाता था
कनेडा की तरफ मुंह की चट्टानों पर मछली पकड़ना
छोटे भाई बहन जो पकड़ नहीं पाते
के साथ छुप्पन छुप्पी खेलना
मेरे पास पिता की फोटो है
गाँव गँवार के, सजीले
लेकिन बिल्कुल पिछड़े हुए
और मेरी माँ, वह भी
बिखरे बाल, लाल होंठों को फैलाए हुए
एक गैंद को इस तरह पकड़े कि मानों
खेलने को तैयार हो
मैं फोटो से वह सब निकालना चाहती हूँ
जो कुछ जरूरी है, जूतों के बक्कल, Barrettes
मुचड़े कपड़े, कुछ गायब है. जंग के बाद की खुशी
वे ऐसा दिखावा कर रहे है मानो वे
छत्ते की मक्खियाँ नहीं हैं
कुछ नहीं काम आता, न ही बेप्टिज्म
सभाएँ, बेकरी, रोटी, छुट्टी
समुद्र तट में रविवार , घास के मैदान पर
धूल धक्कड़ से दूर, पिछवाड़े में
कबूतरों के पिंजड़े, टमाटर के पौधे
तब तक, जब तक वे छोड़ छाड़
किसी दूसरी निराशा को पकड़ लें
हो सकता है कि मैं अब समझती हूं
जो मैं पहचान पाई, पुल क्यों
हर चीज लौटाता रहता है
मृतों के जैसे, जो तब तक नही जाते
जब तक तुम उन्हें डराओ नहीं
तुम्हे अपने में लपेट लेते हैं
तुम्हारे बाल काट डालते हैं
यह तब शुरु होता है
तो मौत छुटकारा बन जाती है
हड्डियों के सिमिट जाने से पहले
जैसा कि हम पुल पर
लान चेयर बिछा रहे हों
यहां शुरु होता है
लम्बा दुख
मन्द पतन
हवा में घुलना
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
Czeslaw Milosz, चेस्लाव मिलोष
चेस्लाव मिलोष का जन्म June 30, 1911,को Szetejnie, Lithuania में हुआ था। वे पेशे से इंजीनियर थे, उन्होंने बचपन से कविता लिखना शुरु किया था़ युद्ध के बाद वे अमेरिका में पोलिश सरकार की समाजवादी सरकार के राजदूत बने। उन्हे पेरिस भेजा गया लेकिन राजनैतिक मतभेदों के कारण उन्होंने राजनैतिक अभय माँगा और पेरिस में बस गए। बाद में वे अमेरिका गए और पोलिश भाषा पढ़ाने लगे। उन्होंने उपन्यास भी लिखे, वे हमेशा पोलिश भाषा में लिखते थे, और अंग्रेजी में अनुवाद करते थे। उन्होंने कई नामी लेखकों की कृतियों का पोलिश में अनुवाद किया था। 1980 में उन्हे नोबल पुरस्कार से नवाजा गया, तभी उनकी कृतियाँ पोलिश में भी पढ़ी जाने लगी, उससे पहले उनकी कृतियाँ पोलेण्ड में पढ़ी तक नहीं जाती थी।
मुटभेड़
हम पौ फटने से पहले बर्फ से जमें खेतों में घुड़सवारी कर रहे थे
तभी अंधेरे में रक्तिम उजास उगी
अचानक एक खरगोश सड़क के उस पार भागा
हम में से किसी एक ने हाथ से उसकी ओर इशारा किया
यह काफी पहले की बात है, आज उनमें से कोई भी जिन्दा नहीं
न ही खरगोश, न ही वह आदमी जिसने इशारा किया था
मेरी प्रिये! वे सब अब कहाँ है, वे कहाँ जा रहे हैं
उस हाथ का माँस, गति की लकीर, कंकड़ो की खड़खड़ाहट
मैं यह सब दुख के साथ नहीं, बल्कि आश्चर्य से पूछ रहा हूँ।
Wilno, 1936
*
बहुत कम
मैंने कहा बहुत कम
दिन बेहद छोटे थे
छोटे दिन
छोटी रातें
छोटे साल
मैंने कहा बहुत कम
मैं रख भी नहीं सका
मेरा दिल घबरा गया
खुशी से
निराशा से
प्रेम से
आशा से
राक्षसों के जबड़े
मुझे कस रहे हैं
मैं सुनसान द्वीपों में
नग्न लेटा हूँ
संसार की सफेद व्हेल मछली
मुझे अपने बिल में ले जाती है
अब मैं नहीं जानता
जो कुछ अन्दर वह कितना सच है
Berkeley, 1969
भूलना
भूल जाओ दुख को
जो तुमने दूसरों को दिए
भूल जाओ वे दुख
जो दूसरों ने तुमको दिए
पानी सदैव बहता रहता है
बसन्त की चिनगारियाँ और बस हो गया
उस जमीन पर चलों जिसे तुम भूल रहे हो
कभी तुम सुनोगे दूर से छूटा
इसका क्या मतलब है, तुम पूछोगे, कौन गा रहा है?
बच्चे सा दिखता सूरज गरमा रहा है
एक पोते और एक पड़पोते ने जन्म लिया
हाथ ने फिर तुम्हे रास्ता दिखाया
नदियों के नाम तुम्हारे साथ रहेंगे
ये नदियाँ कितनी अनन्त दिखती हैं
तुम्हारे खेत रिक्त हैं
शहर के टावर वैंसे नहीं रहे, जैसे पहले थे
अब तुम देहलीज पर मौन खड़े हो।
परिपक्वता में देर
बहुत जल्दी नहीं, ज्यों- ज्यों मेरे नब्बे साल मेरे पास आते हैं
नुझे लगा कि मुझ में एक दरवाजा खुल रहा है, और मैं
सुबह की साफ हवा में जा पहुँची हूँ।
एक के बाद एक कर के मेरी पुरानी जिन्दगियाँ मुझे छोड़ रही हैं
जहाज की तरह, दुख के साथ।
और देश, शहर, बगीचे, समुद्रों के शोर
अपनी तूलिका का करीब लाते हुए
जो उन्हे उनसे भी बेहतर बताने के लिए तैयार है
मैं लोगों से अलग नहीं हुआ हूँ
दुख और करुणा ने हमारा साथ पकड़ लिया
हम भूल गए- मैं लगातार कह रहीं हूँ-हम सब राजा के बच्चे हैं
जहाँ से हम आए हैं, वहाँ कोई भेदभाव नहीं
हाँ और ना में, है और था में, और होगा में
हम बेहद संतृप्त थे, हमने उस भेंट के सौंवे हिस्से से ज्यादा
उपयोग नहीं किया, जो हमें लम्बी यात्रा में मिले
क्षण कल से, और सदियों पहले से
एक तलवार का गाव, चमकदार दर्पण के सामने
पलकों की रंगाई, एक जबरदस्त धमाका, एक लड़ाकू जहाज
की नोक का समुद्री वनस्पति से टकराना,
वे हमारे भीतर घुस रहे हैं
पूर्णता का इंतजार करते हुए
मुझे मालूम था, हमेशा, कि मैं अंगूर के बगीचे में कामगार होऊँगा
जैसे कि सभी आदमी और औरत एक समय में
चाहे वे इसे जानते हैं, या नहीं जानते
http://www.poetry-chaikhana.com/M/MiloszCzesla/Forget.htm
परियों पर
तुम से सब कुछ ले लिया गया, सफेद पौशाक
पंख, यहाँ तक अस्तित्व
फिर भी मैं तुम पर विश्वास करता हूँ
कि तुम एक दूत हो
वहाँ, जहाँ कि दुनिया उलट जाती है
एक तारों और दानवों की कसीदाकारी किया गया भारी कपड़ा
तुम टहल रहे हो, विश्वास करने योग्य चीजों का मुआयना करते हुए
यहाँ तुम काफी कम समय के लिए रुकी
अभी और फिर दुपहर की घड़ी में, यदि आसमान साफ हो,
एक चिड़िया के द्वारा दुहराई गई धुन में
या फिर दिन के खत्म होने पर सेव की खुशबू में
जब कि रोशनी आर्किडों को जादुई बनाती है
वे कहते है कि किसी ने तुम्हारा अविष्कार किया है
लेकिन मुझे यह बात पर विश्वास करने योग्य नहीं लगती
आदमी के लिए तो उसने अपना भी अविष्कार किया है
कोई शक नहीं कि तुम्हारी आवाज इस बात का पक्का सबूत है
क्यों कि यह केवल चमकदार जीव की हो सकती है
भारहीन और पंखदार (क्यों नहीं?)
बिजली से बँधे
मैंने वह आवाज न जाने कितनी बार नीन्द में सुनी है
और कितना अद्भुत है कि, मैं ज्यादातर समझ गया हूँ
एक अपार्थिव आवाज में अनुशासन या प्रार्थना
दिन करीब आ रहा है
दूसरा भी
तुम वही करो, जो कर सकती हो
एकमात्र
घाटी और इसके सारे जंगल पतझड़ी रंग में रंगे हैं
एक मुसाफिर आता है. उसे एक नक्शा यहाँ ले आया
या फिर उसकी याददाश्त, बहुत पहले कभी सूरज
जब सबसे पहले बर्फ गिरा, इस रास्ते से गुजरते हुए
वह प्रफुल्लित हुआ था, हर चीज में चमकते दरख्तों की,
चिड़िया की उड़ान की , पुल पर रेलगाड़ी की ताल थी
गति में उत्सव. वह कई बरसों के बाद लौटा, उसे कुछ नहीं
चाहिए था, सिवाय एक चीज के, एक महत्वपूर्ण चीज के
वह देखना चाहता था, पवित्र और सहज, अनाम
बिना किसी आशा, भय या आशा के
उस तट पर, जहाँ न कोई ” मैं” या फिर ” ना-मै” हो।
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
जान गुजलोस्क्वी ( John Guzlowski) की कविता
एक खत युद्ध के बाद-
प्रिय तेल्का, मेरी इकलौती बहन
जंग खत्म हो गई, लेकिन हम अब भी उसके परिणामों से जूझ रहे हैं। हमारे पास खाने की मेज है लेकिन खाना नहीं, दर्द है लेकिन दवा नहीं, लोहे के पलंग हैं, लेकिन बिछाने को पुआल नहीं है।
हर दिन मैं रात का इंतजार करती हूँ, जिससे इन चीजों के इंतजार से बच सकूँ। लेकिन इससे मेरे सपनों में माँ आती है जो कपड़ों की धुलाई के लिए चिल्ला रही है। और मुझे अपने कपड़े ठीक से ना धो पाने के लिए फटकार रही है।
मैं उन्हें टब में इक्कट्ठा तो करती हूँ, किन्तु धोने की ताकत नहीं बटोर पाती हूँ।
कभी मैं उन्हे पूरब की तरफ चेहरा किए हुए पतझड़ी जंगलों को देखते हुए पाती हूँ। जहाँ पर अभी से बरफ पड़ने लगी है। यदि तुम पोलेण्ड आओ और मेरे साथ गाँव चलों तो तुम उस कब्र को देख पाओगी जहाँ उसे, गेन्जा और उसके बच्चे को पटक दिया गया था। वहाँ कोई तो जानता होगा कि उन्हें कहाँ दफनाया गया। तब शायद माँ मेरे सपनों में आना बन्द कर दे।
यदि तुम वसन्त में आओ तो मेरे लिए नीले रंग की एक पौशाक जरूर लाना, नीले रंग पर फूल छपे हों जिसमें, जैसी कि हम जंग से पहले पहना करते थे। गर्मियों के लिए एक नई पौशाक भी अच्छी रहेगी।
तुम्हारी प्यारी बहन
सोफिया
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
क्रिस्टीना पिकोज (Christina Pacosz) की कविता
एक खत जो कभी भेजा नहीं गया
मैं समन्दर से कोई सौ किलोमीटर दूर त्रिकोण के कोण में रहती हूँ जो युनाइटेड स्टेट के पश्चिमी किनारे पर है। मैंने नक्शे में देखा कि तुम चारों तरफ से बन्द जमीन में रहते हो जो Gdynia और Gdansk के बन्दरगाह से काफी दूर है।
इधर मै खरपतवार की खुशबू से जागती हूँ। कुछ दिनों से सूरज कोहरे से लिपट कर रहा है। टेलीफोन के खम्भों के ऊपर कौए काँव काँव कर रहे हैं। दुपहरी का पहला पहर है और गुलें हवा में खिलवाड़ करती हुई घर की छत पर से उड़ती निकल रहीं हैं। कभी कभी सूरज ढ़लने के बाद रात गहराने से पहले ओलम्पिक के पिछवाड़े से हेरोन (Heron) पंख फटकारते हुए पश्चिम की ओर उड़ती हुई निकल जाती है।
यहाँ स्टार्क्स नहीं होती हैं,मेरी पक्षी वर्णन किताब कहती है कि यह पुराने जमाने की प्रजाति है। तुम्हारी दुनिया, मेरे पिता की दुनिया पचास वर्ष पहले का स्मरण रखती है। अभी हाल ही में मैने नेशनल जाग्रफी की किताब में पढ़ा है कि स्टार्क लुप्त होने के कगार पर है। क्या कभी तुमने सोचा कि क्या नहीं है?
मौसम कैसा है? पिछली जुलाई में मिले आण्टी के खत में मार्च के महिने में बाढ़ और फसल के नष्ट होने के बारे में लिखा था , हमने उस खबर को कई बार पढ़ा था, आखिर कार कुछ तो सूचना मिली। हालाँकि खत खुला आया था।
मैं वह सब नहीं लिख पा रही हूँ, जो सोच रही हूँ क्योंकि जानती नहीं कि क्या सच है, क्या नहीं। मैं खतों के माध्यम से रास्ता पकड़ लेती हूँ, और कल्पना करने लगती हूँ मैं बसन्त से खराब हुई पहाड़ों के ऊपर पुरानी बर्फ पर चल रही हूँ।
तुमने सर्दियों के लिए खाना जमा कर लिया ना? भंडार को प्याज और आलू से भर लिया ना? लाल और सफेद दोनो तरह के ? बरनियों में kapusta भर कर लटका लिया हैं ना। क्या अब भी तुम मीट के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है? अब लाइन लगती भी है कि नहीं? क्या अब कोई सुबह सुबह उठ के नीले आसमान के नीचे धूप मे कुकुरमुत्ते फैलाता है? और फिर चूल्हे के करीब रैक में रख कर सुखाता है? इन शब्दों के लिखे जाने तक, जिन्हें तुम कभी भी नहीं देख पाओगे।
मैं कहना चाहती हूँ कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, पर तुम प्रश्नवाचक हो। एक पूरे साल जेल में रहने के बाद। वालेसा कहता है कि मुझे सावधान रहना चाहिए। मुझे सोचने के लिए वक्त चाहिए।
मैं उससे सहमत हूँ, लेकिन मैं सब कुछ छोड़-छाड़ कर तुम्हारे दिल में पहुँचना चाहती हूँ। भावों में बहना अच्छा लगता है, यदि इनका तुम्हारे विरुद्ध उपयोग किया जाए तो।
पूरी जिन्दगी मैं तुम्हारी ओर झुकी रही। तुम ळुबलिन (Lublin) के दक्षिण में हो, गेलिशिया (Galicia) से ज्यादा दूर नहीं, चेज तोचावा (Czes-tochowa) से करी मील दूर पश्चिम में। मुझे मालूम है कि तुम कहाँ हो, पर नहीं जानती कि वहाँ तक कैसे पहुँचे? नाम लेने में मन को आराम मिलता है, पर इतना ही तो काफी नहीं।
मैं बचपन के दिनों की याद करते हुए उन खतों को याद करती हूँ जिनमें विदेशी भाषा में कुछ लिखा था। उसका जवाब-अच्छे कच्छों का पेकेट , गरम जुराब, नायलोन, लिप्सटिक, टिन फूड, आदि। उस ने सीटी बजाई मानों कि यह काम उसका हो। फिर उसने सफेद आटे की बोरी उन डिब्बों के चारो तरफ लपेट दी, और पुराने कपड़े से खाल की तरह कस कर बाँध दिया। इसके बाद सूजा लेकर अच्छी तरह से सी दिया आधी उंगली रहित अकड़े हाथों से उसने स्याही की बोतल निकाली, जिसे उसने इसी काम के लिए सहेज कर रखा था, फिर स्याही में निब डुबों कर तुम्हारा पता लिख दिया। सफेद पर काले अक्षर, हर अक्षर ने जरूरत से ज्यादा समय लिया।
मुझे लगता है कि मैं अपने बारे में लिखाने की जगह उसके बारे॓ ज्यादा लिखा रहीं हूँ, किन्तु उसका प्यार तुम्हारे और मेरे प्यार के आसमान के बीच का पुल था। मैं और क्या कह सकती हूँ, मैं एक अधेड़ औरत, एक लेखक, जैसा कि यहाँ जानी जाती हूँ, तुमसे मुहब्बत करती हूँ। पतझड़ करीब करीब खत्म हो गया, और तुम्हारी और मेरी दुनिया सर्दी के मौसम में प्रवेश कर गई।
जब तुम बेहद अंधेरे में क्रिसमस में रोटी बाँटोगे, मैं तुम्हे याद करूंगी।
अनुवाद रति सक्सेना
इन कविताओं के अनुवादों का बिना अनुमति के उपयोग करना मना है।
Warsaw में जन्मी Maria Jastrzebska कवि , संपादक और अनुवादक हैं। आजकल वे अमेरिका में रह रहीं हैं।
शुक्रवार (Fridays)
बड़ी सी दूकान
मैं थैले पकड़ने में माँ की मदद कर रही थी
जिससे मेरी उंगलियाँ कट रही थी
हथेली पर लाल लाल धारियाँ बन गईं
वह मुझे बाहर छोड़ कर
दूकान के भीतर
कुछ भूली चीज लेने गई
जैसे जैसे पंक्ति आगे बढ़ी
मेरी साँस ही रुक गई
यदि बह नहीं लौटी तो
कैशियर से क्या कहूँगी?
लेकिन वह सही वक्त पर साथ थी
तभी एक औरत हमारे आगे आ घुसी
मेरी माँ यह सह नहीं पाई
शिकायती लहजे में गुर्राई
औरत ने भी चिल्ला कर जवाब दिया
नालायक विदेशियों, वापिस वहीं जाओ,
जहाँ से तुम आए हो, हर कोई
अपनी अपनी टोकरियों में झाँकता रहा
जब तक कि हम लौट ना आए

Bladdifor aynerr.
यह शब्द उनके बीच से
कोई नए मजाक सा गुजरता रहा,
जब तक कि हर कोई इसका
अभ्यस्त ना हो गया
मैंने फिर दूकान जाने से इंकार कर दिया
मानो कि वह सड़ा सासेज या फिर धुआँ हो
अब मेरी माँ अकेले जाती है
और अकेले ही थैले ढो कर आती है।